Bandeya

Manoj Muntashir

जितना चले तपे तू एगन मैं
उतना चमके तेरा रंग
डर क्या जो जग दुश्मन तेरा
रब है तेरे संग
रब है तेरे संग

लोहा है रे लोहा है तू
लोहा है रे लोहा है तू
हिम्मतें तेरी बेक़ाबू
जीत ले ज़माना बढ़ के
ओ बंदेया तेरे नाल रब वे
ओ बंदेया तेरे नाल रब वे
हो पैरों में छाले हैं जो
देंगे उजाले तुझको
पैरों में छाले हैं जो
देंगे उजाले तुझको
करके इरादा चल दे
ओ बंदेया तेरे नाल रब वे
ओ बंदेया तेरे नाल रब वे

आकाश ये ऊंचा ऊंचा
जावे पल में नीचा
जो तोल के दोनो बाजु
तू जोर लगा के खिचे
तेरे सिने में फौलाद है
तू माटी की औलाद है
तुझे डर क्या रे
आने दे जो आए
आने दे जो आए

हो पैरो में छाले हैं जो
देंगे उजाले तुझको
पेरों में चले छाले हैं जो
देंगे उजाले तुझको
कर के इरादा चल दे
ओह बंदेया तेरे नाल रब्ब वे
ओह बंदेया तेरे नाल रब्ब वे

रेत के जैसी जींद ये
हाथों से निकल रही है
तेरे पैरों के नीचे ये
धरती पिघल रही है
तेरा सूरज भी बेनूर है
तेरा साहिल मिलो दूर है
पर चलता जा, चलता जा तू यार
चलता जा तू यारां

हो पैरो में छाले हैं जो
देंगे उजाले तुझको
पैरों में छाले हैं जो
देंगे उजाले तुझको
करके इरादा चल दे
ओ बंदेया तेरे नाल रब वे
ओ बंदेया तेरे नाल रब वे

Curiosidades sobre la música Bandeya del Divya Kumar

¿Quién compuso la canción “Bandeya” de Divya Kumar?
La canción “Bandeya” de Divya Kumar fue compuesta por Manoj Muntashir.

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