Khushboo Jaise Log

GULZAR, BHUPINDER SINGH

ख़ुश्बू जैसे लोग

ख़ुश्बू जैसे लोग
ख़ुश्बू जैसे लोग मिले अफ़साने में
ख़ुश्बू जैसे लोग मिले अफ़साने में
एक पुराना ख़त खोला अन्जाने में
ख़ुश्बू जैसे लोग मिले अफ़साने में
ख़ुश्बू जैसे लोग

शाम के साये बालिश्तों से नापे हैं
शाम के साये
शाम के साये बालिश्तों से नापे हैं
चाँद ने कितनी देर कितनी देर लगा दी
चाँद ने कितनी देर लगा दी आने में
एक पुराना ख़त खोला अन्जाने में
ख़ुश्बू जैसे लोग मिले अफ़साने में
ख़ुश्बू जैसे लोग

हम इस मोड़ से हे हे हे
हम इस मोड़ से उठकर अगले मोड़ चले
हम इस मोड़ से
हम इस मोड़ से उठकर अगले मोड़ चले
उनको शायद, उनको
उनको शायद उमर लगेगी आने मे
एक पुराना ख़त खोला अन्जाने में
ख़ुश्बू जैसे लोग मिले अफ़साने में
एक पुराना ख़त खोला अन्जाने में
खुश्बू जैसे लोग, खुश्बू जैसे लोग

Curiosidades sobre la música Khushboo Jaise Log del Bhupinder Singh

¿Quién compuso la canción “Khushboo Jaise Log” de Bhupinder Singh?
La canción “Khushboo Jaise Log” de Bhupinder Singh fue compuesta por GULZAR, BHUPINDER SINGH.

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