Roop Kaisa Diya Hai Tujhe Ram Ne
हो हो हो हो
हा हा हा हा
हो हो हो हो
रूप कैसा रूप कैसा दिया है तुझे राम ने
ओ चाँद शरमाये गोरी तेरे सामने
रूप कैसा दिया है तुझे राम ने
ओ चाँद शरमाये गोरी तेरे सामने
काली काली ये प्यारी दो अंखिया
ओ जैसे नीले कमल की पखियाँ
ओ जैसे नीले कमल की पखियाँ
नाचे तन मन मगन बाजे जन धन गंधा
कैसी राधा
कैसी राधा बनाई घनश्याम ने (घनश्याम ने)
रूप कैसा दिया है तुझे राम ने
ओ चाँद शरमाये गोरी तेरे सामने
हो हो हो हो
हा हा हा हा
रंगीली कबीलो के डर से
हुआ मुस्किल निकलना घर से
हुआ मुस्किल निकलना घर से
मैं जाऊं जिधर नैन लागे उधर
मुझे पागल मुझे पागल बनाया सारे गाँव ने (सारे गाँव ने)
रूप कैसा दिया है तुझे राम ने
ओ चाँद शरमाये गोरी तेरे सामने
मेरे मन की ओ मीठी मिठाई
ओ तेरी सूरतया इसमे बिठाई
हो भोली सूरतया इसमे बिठाई
एक तेरी चमक हलवे मे नमक
जागो जागो जागो जागो ना आओ जी सामने (सामने)
रूप कैसा दिया है तुझे राम ने
ओ चाँद शरमाये गोरी तेरे सामने
हो हो हो हो
हा हा हा हा
नही ऐसा नज़र कोई आए
जो नखरे दुल्हन के उठाए
हाए जो नखरे दुल्हन के उठाए
पहलू से फिसल कब गिरता है दिल
नही आता नही आता है कोई सामने (कोई सामने)
रूप कैसा दिया है तुझे राम ने
ओ चाँद शरमाये गोरी तेरे सामने