Gulistan Se

Kulwant Jani

गुलसिताँ से निकल कर
गुलाब आ गया
गुलसिताँ से निकल कर
गुलाब आ गया
आ गया आज लूटने को
फिर एक शबाब आ गया
शबाब आ गया
आ गया आज लूटने को
फिर एक शबाब आ गया
शबाब आ गया
अभी चिलमन उठेगी
अभी बिजली गिरेगी
शोर मच जाएगा
सारी दुनिया कहेगी
कों महफ़िल मे ये
बहीज़ाब आ गया
आ गया आज लूटने को
फिर एक शबाब आ गया
शबाब आ गया

हुमको सांसो की कीमत चुकानी पड़ी
तन बदन की नुमाइश लगानी पड़ी
लोग तरसा किए जिस झलक के लिए
लोग तरसा किए जिस झलक के लिए
वो हसी आज खुद
बेनकाब आ गया
आ गया आज लूटने को
आज लूटने को फिर
एक शबाब आ गया
शबाब आ गया

वक़्त बदला तो हुमको
बदलना पड़ा
उठके मखमल से काँटो पे
चलना पड़ा
कोई अपना नही फिर भी
सीकवा नही
कोई अपना नही फिर भी
सीकवा नही
देखते देखते इंक़लाब
आ गया
आ गया आज लूटने को
आज लूटने को फिर एक शबाब
आ गया
शबाब आ गया
अभी चिलमन उठेगी
अभी बिजली गिरेगी
शोर मच जाएगा
सारी दुनिया कहेगी
कों महफ़िल मे ये
बहीज़ाब आ गया
गुलसिता से निकल कर
गुलाब आ गया
आ गया आज लूटने को
फिर एक शबाब आ गया
शबाब आ गया

Curiosidades sobre la música Gulistan Se del Asha Bhosle

¿Quién compuso la canción “Gulistan Se” de Asha Bhosle?
La canción “Gulistan Se” de Asha Bhosle fue compuesta por Kulwant Jani.

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