Aaye Ho To Jane Ka Bahana

Jan Nisar Akhtar

आए हो तो जाने का
बहाना ना मिलेगा
इस दिल के साइवा कोई
ठिकाना ना मिलेगा
आए हो तो जाने का
बहाना ना मिलेगा
इस दिल के साइवा कोई
ठिकाना ना मिलेगा

ज़ुल्फो के मचलते हुए
घेरे ना मिलेंगे
पलकों के लचकते ये
अंधेरे ना मिलेंगे
ज़ुल्फोन के मचलते
हुए घेरे ना मिलेंगे
पलकों के लचकते ये
अंधेरे ना मिलेंगे
साँसों का
साँसों का महकता
ये तराना ना मिलेगा
इस दिल के साइवा कोई
ठिकाना ना मिलेगा
आए हो तो जाने का
बहाना ना मिलेगा
इस दिल के साइवा कोई
ठिकाना ना मिलेगा

पाओगे किसी और में
ये बात कहाँ से
मिल जाएँगे हर बार
ये दिन रात कहाँ से
पाओगे किसी और में
ये बात कहाँ से
मिल जाएँगे हर बार
ये दिन रात कहाँ से
ढूँढे से
ढूँढे से ये रंगीन
ज़माना ना मिलेगा
इस दिल के साइवा कोई
ठिकाना ना मिलेगा
आए हो तो जाने का
बहाना ना मिलेगा
इस दिल के साइवा कोई
ठिकाना ना मिलेगा

दिल दे के तुम्हें दिल का
तक़ाज़ा ना करेंगे
तुम जान भी मांगोगे
तो हम ना ना करेंगे
दिल दे के तुम्हें दिल का
तक़ाज़ा ना करेंगे
तुम जान भी मांगोगे
तो हम ना ना करेंगे
हम सा भी
हम सा भी तुम्हें कोई
दीवाना ना मिलेगा
इस दिल के साइवा कोई
ठिकाना ना मिलेगा
आए हो तो जाने का
बहाना ना मिलेगा
इस दिल के साइवा कोई
ठिकाना ना मिलेगा

Curiosidades sobre la música Aaye Ho To Jane Ka Bahana del Asha Bhosle

¿Quién compuso la canción “Aaye Ho To Jane Ka Bahana” de Asha Bhosle?
La canción “Aaye Ho To Jane Ka Bahana” de Asha Bhosle fue compuesta por Jan Nisar Akhtar.

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