Ram Amrit Bhakti
रामचंद्र सीतारमण, सत्य यही एक नाम
हर पल नाम स्मरण करूं, जय जय जय श्री राम
राम नाम भज रे मना, सदा रहे विश्वास
सिया राम के भक्तों की कभी ना टूटे आस
प्राण रहें जब तक तन में, बोलो जय श्री राम
तैर गए वे पत्थर भी, जिन पर राम का नाम
राम नाम का दीप जला रखे जो मन के द्वार
सौ सूरज सा तेज बढ़े, दूर होय अंधकार
तीन लोक में है नहीं, कोई ऐसा धाम
भाग्यवान है अवध पुरी जहां जन्म लिए श्री राम
मर्यादा पुरुषोत्तम राम प्रभु सा नाहीं कोय
प्राण जाए पर वचन नहीं, रघुकुल रीति होय
राम चरण जल धार से मिटती जन्मों की प्यास
सियाराम एक सत्य है कह गए तुलसीदास
प्रेम भाव से शीश झुका, जोड़े जो भी हाथ
सिया लखन हनुमान सहित दर्शन दें रघुनाथ
जय जय श्री राम
दशरथ जी की नगरी अयोध्या, पहली रानी जिनकी कौशल्या
अन्य केकई और सुमित्रा, गुरु वसिष्ठ और विश्वामित्रा
पुत्र के लिए यज्ञ कराया, चैत्र मास का शुभ दिन आया
नवमी तिथि जन्मे रघुराई, लक्ष्मण भरत शत्रुघन भाई
विश्वामित्र से आज्ञा पाकर, ताड़का मारी वन में रघुवर
धनुष तोड़ कर किया स्वयंवर, रामचंद्र बन गए सीतावर
मांगे थे केकई माँ ने वर, सिया लखन संग वन गए रघुवर
लक्ष्मण रेखा तोड़ी सिया ने, हरण किया पापी रावण ने
सिय को ढूंढे लक्ष्मण रामा, मिले वीर हनुमान था नामा
बजरंगी ने लंका जलाई, सागर पार आए रघुराइ
कुंभकरण पापी मेघनाथा, रावण मार दिए रघुनाथा
लखन सिया संग राम जी आए, अवधपुरी में मंगल छाए
रामायण यह राम कथा, पढ़े सुने जो कोय
यह जीवन आदर्श बनें, और मन निर्मल होय
जय जय श्री राम
शबरी राम नाम गुण गाए, जिसके जूठे फल प्रभु खाए
पत्थर नारी अहिल्या बन गई, राम स्पर्श से वह तर गई
रामचंद्र को प्रिय हनुमाना, जिनके हृदय में श्री भगवाना
राम चरण के जो हैं संगी, उनके सहायक श्री बजरंगी
कनक भवन में राम विराजे, संग में सीता लक्ष्मण साजे
भरत शत्रुघन चँवर डुलावे, हनुमत चरणों में सुख पावे
राम राज्य में सब सुख आए, प्रजा जनों में मंगल छाए
रामचंद्र करें पूर्ण कामा, मर्यादा पुरुषोत्तम रामा
राम लखन और जानकी, साथ रहें हनुमान
दर्शन से भक्ति मुक्ति, देते दयानिधान
जय जय श्री राम