Main Woh Raat Hoon
मैं वो रात हूँ, वो हालात हूँ
जिसकी ना है दूर-दूर अब तो सुबह कोई
मैं तो शोर हूँ, पर चुपचाप हूँ
मुझसे कोई खाली नहीं देखो जगह कोई
सुन ले, मेरी आँखों की ज़मीं पे
दे ना दिखाई कुछ नमी से
कोई तो जाने मेरी बेबसी, बेबसी, ओ ओ
सुन ले, मेरा सूरज भी गलती से
डूबा मेरी खिड़की पे
कहाँ से आएगी हाँ रौशनी, रौशनी हो
हाँ दिन में ही शाम सी है
थोड़ी थकान सी है
हारा नहीं हूँ मैं
अब तलक तो
मैं उठ के फिर खड़ा हूँ
देखो हाँ
मेरे हाथों की लकीरें
तेरे हाथों में बची हैं
कोई क्या मिटाएगा
आ के इनको मेरे हाथों में रहेंगी
तो फिर, दर्द सारे ये दबा के
ज़िद को ज़िद्दी बना के
अब रहूँगा नहीं
चुप मैं, चुप मैं, ओ ओ
तो फिर साँसें ज़ख्मी बना के
हँसूँ मैं आँसुओं की खा के
अब लड़ूँगा यहाँ भी
खुद मैं, खुद मैं, ओ