Aurat

ALI ZAFAR

खिलती हुई सुबा का, कोमल सा रूप हो तुम
कभी मधाम मधाम चाँदनी, कभी तीखी धूप हो तुम
तुम नहीं मेरे साथ, तो मेरी हएसियत क्या है
बतलाओ तुम्हारे इश्क़ की, ये काफियत क्या है?
आए औरत, तुम बे मिस्ल हो तुम्हें पोंचे मेरा सलाम
मेरी रूह तुम्हारी सुल्तानत, मेरा दिल है तेरा गुलाम

Curiosidades sobre la música Aurat del Ali Zafar

¿Quién compuso la canción “Aurat” de Ali Zafar?
La canción “Aurat” de Ali Zafar fue compuesta por ALI ZAFAR.

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