Jitni Dafa
Rashmi Virag
जितनी दफ़ा देखु तुम्हें धड़के ज़ोरों से
ऐसा तो कभी होता नही मिलके गैरो से
दूर जाना नही तुमको है कसम
खुद से ज़्यादा तुम्हे चाहतें है सनम
दिल में जो भी है तेरा ही तो है
चाहे जो माँग लो रोका किसने है
कतल अगर करना हो करना धीरे से
उफ़ भी नही निकलेगी मेरे होठों से
दूर जाना नही तुमको है कसम
खुद सी ज़्यादा तुम्हे चाहतें है सनम
चाहतें है सनम
चाहतें है सनम