Kabhi Dhoop Kabhi Chhaon
Chitragupta, pradeep
सुख दुःख दोनों रहते जिस में जीवन है वो गाव
कभी धूप कभी छाँव कभी धूप तो कभी छाँव
उपरवाला पासा फेंके निचे चलते दांव
कभी धूप कभी छाँव कभी धूप तो कभी छाँव
भले भी दिन आते जगत में बुरे भी दिन आते
भले भी दिन आते जगत में बुरे भी दिन आते
कडवे मीठे फल करम के यहाँ सभी पाते
कभी सीधे कभी उलटे पड़ते अजब समाये के पाव
कभी धूप कभी छाँव कभी धूप तो कभी छाँव
सुख दुःख दोनों रहते जिस में जीवन है वो गाव
कभी धूप कभी छाँव कभी धूप तो कभी छाँव
क्या खुशिया क्या गम ये सब मिलते बारी बारी
क्या खुशिया क्या गम ये सब मिलते बारी बारी
मालिक की मर्ज़ी पे चलती ये दुनिया सारी
ध्यान से खेना जग में बन्दे अपनी नाव
कभी धूप कभी छाँव कभी धूप तो कभी छाँव
सुख दुःख दोनों रहते जिस में जीवन है वो गाव
कभी धूप कभी छाँव कभी धूप तो कभी छाँव