Zaroori Tha

Khalil-Ur-Rehman Qamar

बताओ याद है तुमको
वो जब दिल को चुराया था
चुराई चीज़ को तुमने
ख़ुदा का घर बनाया था
वो जब कहते थे मेरा
नाम तुम तस्बीह में पढ़ते हो
मोहब्बत की नमाज़ों
को कज़ा करने से डरते हो
मगर अब याद आता है
वो बातें थी महज़ बातें
कहीं बातों ही बातों में
मुकरना भी ज़रूरी था
तेरी आँखों के दरिया का
उतरना भी ज़रूरी था
वही हैं सूरतें अपनी
वही मैं हूँ, वही तुम हो
मगर खोया हुआ हूँ मैं
मगर तुम भी कहीं गुम हो
मोहब्बत में दग़ा की
थी सो काफ़िर थे सो काफ़िर हैं
मिली हैं मंज़िलें फिर भी मुसाफिर
थे मुसाफिर हैं
तेरे दिल के निकाले हम
कहाँ भटके कहाँ पहुंचे
मगर भटके तो याद आया
भटकना भी ज़रूरी था
मोहब्बत भी ज़रूरी थी
बिछड़ना भी ज़रूरी था

Curiosidades sobre la música Zaroori Tha del हरजस हरजाई

¿Quién compuso la canción “Zaroori Tha” de हरजस हरजाई?
La canción “Zaroori Tha” de हरजस हरजाई fue compuesta por Khalil-Ur-Rehman Qamar.

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