Meri Zindagi Bhi Koi Zindagi Hai
Zafar Malihabadi
मेरी ज़िन्दगी भी कोई ज़िंदगी है
न दिल में उमंगें न लब पर हसी है
मेरी ज़िन्दगी भी
किया है मुकद्दर ने बर्बाद ऐसा
किया है मुकद्दर ने बर्बाद ऐसा
जिधर देखता हूँ नहीं कोई अपना
जिधर देखता हूँ नहीं कोई अपना
नहीं कोई अपना
नज़र एक ज़माने से बदले हुए है
मेरी ज़िन्दगी भी
मेरे दिल को हरदम दुखाति है दुनिया
मेरे दिल को हरदम दुखाति है दुनिया
तड़पता हूँ मैं मुस्कुराती है दुनिया
तड़पता हूँ मैं मुस्कुराती है दुनिया
मुस्कुराती है दुनिया
मुझे किस खता पर सजा मिल रही है
मेरी ज़िन्दगी भी
सुनाता रहा लाख ग़म का फ़साना
सुनाता रहा लाख ग़म का फ़साना
किसी ने मगर दर्द दिल का न जाना
किसी ने मगर दर्द दिल का न जाना
दिल का न जाना
ज़माने ने कब बेकसूर की सुनी है
मेरी ज़िन्दगी भी कोई ज़िंदगी है
न दिल में उमंगें न लैब पर हसी है
मेरी ज़िन्दगी भी