Apni Dhun
NAZEER KAZMI, NARAYAN RAMESH
अपनी धुन में रहता हूँ
मैं भी तेरे जैसा हूँ
अपनी धुन में रहता हूँ
मैं भी तेरे जैसा हूँ
ओ पिच्छली रुत के साथी
ओ पिच्छली रुत के साथी
अब की बरस मैं तन्हा हूँ
अपनी धुन में रहता हूँ
मैं भी तेरे जैसा हूँ
तेरी गली में सारा दिन
तेरी गली में सारा दिन
दुख की कंकर चुनता हूँ
मेरा दिया जलाए हो
मैं तेरा खाली कमरा हूँ
अपनी धुन में रहता हूँ
मैं भी तेरे जैसा हूँ
अपनी ल़हेर हैं अपना रोग
अपनी ल़हेर हैं अपना रोग
तेरी आहों और प्यासा हूँ
आती रुत मुझे रोएगी
जाती रुत का झोंका हूँ
अपनी धुन में रहता हूँ
मैं भी तेरे जैसा हूँ
ओ पिच्छली रुत के साथी
ओ पिच्छली रुत के साथी
अब की बरस मैं तन्हा हूँ
अपनी धुन में रहता हूँ
मैं भी तेरे जैसा हूँ
मैं भी तेरे जैसा हूँ
मैं भी तेरे जैसा हूँ