Kashmir

Manan Bhardwaj

औरतों के जैसा ये इश्क़ मेरा
नासमझ तू समझेगा कैसे
लिखती मैं रहती हूं
दिन-रात तुझको
पागल तू समझेगा कैसे
इतना है शोर यहां
इस सहर में
इश्क़ मेरा संभालेगा कैसे
कश्मीर जैसी जगह ले चलो ना
बर्फ़ पे सिखाऊँगी पार तुझे
झीलों पे ऐसे
उड़ेंगे साथ दोनों
इश्क़ पढ़ाऊँगी यार तुझे
हुन्न.. ठंडी सी रातें
पेड़ों की खुशबू
जुगनू भी करते हैं बातें वहां
कहते हैं जन्नत की बस्ती है वहां पे
सारे फरिश्ते रहते हैं जहां
बादल भी रहते हैं ऐसे वहां पे
सच में वो नीले हों जैसे
उसे नीले रंग से मुझे भी रंग दो ना
आस्मां दिखाऊंगी यार तुझे
ऐसे उड़ेंगे मिलके साथ दोनों
जन्नतें गुमाऊंगी यार तुझे

ले तो चलूँ में
तुझको वहां पे
लेकिन वहां पर सर्दी बड़ी है
कब मैं लगाऊंगा तुझको गले
खुदा की क़सम
मुझे जल्दी बड़ी है

ओढूंगी ऐसे मैं तुझको पिया
सर्दी मुझको सतायेगी कैसे
तुझको लगाऊंगी ऐसी गले
कोई गुम हो जाता है जैसे

किस बात की देर
फिर तो लगायें हैं
खुद को अब रोकूँ मैं कैसे
उस नीले पानी का
चौ साफ झरना है
उससे पिलाऊंगा प्यार तुझे
झीलें हैं नदियाँ
ये बर्फ़ों के टीले
लाके सब दे दूं मैं यार तुझे
उम्म

Curiosidades sobre la música Kashmir del मनन भारद्वाज

¿Quién compuso la canción “Kashmir” de मनन भारद्वाज?
La canción “Kashmir” de मनन भारद्वाज fue compuesta por Manan Bhardwaj.

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